परंपरागत मिट्टी चिकित्सा से कई बिमारियों का इलाज संभव, जानें इसकी लाभ, विशेषताएं व प्रकार

परंपरागत मिट्टी चिकित्सा से कई बिमारियों का इलाज संभव, जानें इसकी लाभ, विशेषताएं व प्रकार

सेहतराग टीम

हमारे शरीर का निर्माण पंचतत्व से हुआ है। ये हैं- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अकाश। इन पंच तत्व में पृथ्वी अत्यंत महत्वपूर्ण है। जो मनुष्य के पालन-पोषण, वृदि और विकास के अत्यंत आवशयक है। पृथ्वी ही पेड़, पौधों, वनस्पतियों और विभिन्न प्रकार के खाद्यान्नों की जन्मदात्री है। इसलिए भारतीय संस्कृति में पृथ्वी को माता का स्थान दिया गया है। इस पृथ्वी तत्व के संपर्क में रहना स्वस्थ रहने के लिए अत्यंत आवशयक मन जाता है। इसी पृथ्वी तत्व से शरीर की चिकित्सा को प्राकृतिक चिकित्सा में मिट्टी चिकित्सा का नाम दिया गया है।

मिट्टी चिकित्सा का अर्थ-

मिटटी चिकित्सा का इतिहास बहुत पुराना है। हमारे ऋषि, मुनियों ने मिट्टी का प्रत्यक्ष उपयोग कर उसके महत्व को समझा और शरीर तथा मन को स्वस्थ रखने के लिए विभिन्न प्रकार से मिट्टी का उपयोग किए जाने की कला का विकास किया। प्राचीन आश्रम व्यवस्था में पृथ्वी पर सोने, भूमि पर नंगे पैर चलने, मिट्टी से ही हांथो पैरों तथा शरीर की सफाई, मिट्टी से स्नान, मिट्टी से निवास स्थान को लीपकर शुध्द करने तथा मिट्टी के सीधे संपर्क में रहने के अनेक उदहारण मिलते हैं। वास्तव में ये उदाहरण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के उन्नयन में मिट्टी की उपयोगिता को दर्शाते हैं। मिटी चिकित्सा प्राकृतिक चिकित्सा के अंतर्गत आने वाली एक ऐसी विधि है जिसमें शरीर एवं मन के विभिन्न विकारों को दूर करने के लिए मिट्टी का उपयोग किया जाता है।

मिट्टी चिकित्सा की विशेषताएं-

ताप नियंत्रण में सहायक:

मिट्टी में ताप के नियंत्रण की अद्भुत शक्ति होती है। गर्मी में प्रयोग में लाये जाने पर यह शरीर को शीतलता प्रदान करती है।

दुर्गन्ध नाशक क्षमता:

यह शरीर की दुर्गन्ध को दूर कर देती है।

अवशोषण की क्षमता:

मिट्टी में विजातीय द्रव्यों के अवशोषण की अपूर्व क्षमता होती है। यह विजातीय द्रव्यों को घुलाकर उसे बाहर निकाल देती है।

वातावरण को स्वच्छ व शुध्द बनाने जी क्षमता:

मिट्टी न केवल वातावरण को स्वच्छ बनाती हैं बल्कि सड़ी-गली चीज़ों को अपने में समाहित कर वातावरण को दोबारा शुध्द बना देती है। इसलिए मृत शरीर का विसर्जन भी मिट्टी में दबाकर किया जाता है।

अत्यंत सरल एवं प्रभावपूर्ण:

मिटटी चिकित्सा न केवल सरल है बल्कि प्रभावी भी है। इसका प्रयोग घर में भी बिना किसी विशेष मशीन के किया जा सकता है।

मिट्टी चिकित्सा में प्रयोग की जाने वाली मिट्टी-

इसके लिए प्रयोग में लायी जाने वाली मिट्टी साफ-सुथरी और जमीन से 3-4 फिट नीचे की होनी चाहिए। उसमे किसी भी तरह की मिलावट, कंकड़, पत्थर या रसायनिक खाद वगैरह नहीं होने चाहिए।

प्रयोग में लेन से पहले मिट्टी को साफ करके, उसके कंकड़, पत्थर निकालकर धुप में अच्छी तरह सुखा लेना चाहिए। यह ध्यान रखना चाहिए कि एक बार प्रयोग करने में लायी गयी मिट्टी को दोबारा प्रयोग में न लाया जाए।

मिट्टी चिकित्सा के प्रकार-

मिट्टी की पट्टी:

यह प्राकृतिक चिकित्सा का एक लोकप्रिय उपचार है। प्राय पेट एवं माथे पर मिट्टी की पट्टी का प्रयोग किया जाता है। लेकिन इसे शरीर के दुसरे भागों पर भी प्रयोग कर सकते हैं। पेट पर मिट्टी की पट्टी रखने के लिए साफ-सुथरी मिट्टी लेकर उसे आंटे की तरह गूंथ ले, इसके बाद पट्टी बनाकर शरीर पर रखे। 20 मिनट बाद पट्टी को हटा दें और उस स्थान को गीले कपडे से साफ़ कर हांथो से रगड़कर गर्म कर लें।

मिट्टी का स्नान:

मिट्टी स्नान के लिए मिट्टी के किसी बड़े बर्तन में मिट्टी को घोल लें, उसे लेप जैसा तैयार कर लें। अब उस लेप को पूरे शरीर में लगा ले और ऋतु के अनुसार धुप या पेड़ की छाया में बैठ जाएं। 20 से 40 तक लेप के सूखने के बाद नहा लें।

 

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